हर इच्छाओं को दबाते रहे यूं ही अपने मन को समझाते रहे। हर इच्छाओं को दबाते रहे यूं ही अपने मन को समझाते रहे।
पर मन में हैं एक अजीब सी झिझक कि, “लोग क्या कहेंगे।” पर मन में हैं एक अजीब सी झिझक कि, “लोग क्या कहेंगे।”
थक गया सोचकर अब, कि लोग क्या कहेंगे। थक गया सोचकर अब, कि लोग क्या कहेंगे।
कुछ तो कहना है तुमसे क्या कहूँ क्या छिपाऊं याद करूँ मैं तुमको या फिर से भूल जाऊँ। कुछ तो कहना है तुमसे क्या कहूँ क्या छिपाऊं याद करूँ मैं तुमको या फिर से...
राह चलती ज़िंदगी में कौन किसके साथ है पता ही नहीं चलता।। राह चलती ज़िंदगी में कौन किसके साथ है पता ही नहीं चलता।।
पर अग़र मैं कहूँ, मैं वही जानती हूँ जो मैं मानना चाहती हूँ मैं तुम्हें पाना चाहती हूँ पर अग़र मैं कहूँ, मैं वही जानती हूँ जो मैं मानना चाहती हूँ मैं तुम्हें पाना...